Index Search for 'घोरमशुष्यत्तेन' |
Shloka: | तत्रोपदिष्टमिन्द्रेण दिव्यमस्त्रं विशोषणम् । दीप्तं प्राहिणवंघोरमशुष्यत्तेन तज्जलम् ॥ |
Reference: | 3.35.168.0.8(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>अष्टषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#8) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | अष्टषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|