Index Search for 'घोरदृष्टिर्ग्रसन्निव' |
Shloka: | लेलिहञ्जिह्वया वक्त्रं विद्युच्चपललोलया । व्यात्ताननोघोरदृष्टिर्ग्रसन्निव जगद्बलात् ॥ |
Reference: | 3.33.124.0.23(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>चतुर्विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (124)>श्लोक#23) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | चतुर्विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (124) |
Akhyana: | |
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