Index Search for 'घोरतरं' |
Shloka: | मौर्वीविसृष्टाः स्तनयित्नुघोषा गाण्डीवमुक्तास्त्वतिवेगवन्तः । हस्तं समाहत्य धनंजयस्य भीमाः शब्दंघोरतरं नदन्ति ॥ |
Reference: | 3.42.252.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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