Index Search for 'घोरं' |
Shloka: | वने महति तस्मिंस्तु रामः सौमित्रिणा सह । ददर्श मृगयूथानि द्रवमाणानि सर्वशः । शब्दं चघोरं सत्त्वानां दावाग्नेरिव वर्धतः ॥ |
Reference: | 3.42.263.0.24(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#24) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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