Index Search for 'घृतपृक्ता' |
Shloka: | ययातिरुवाच - सन्ति लोका बहवस्ते नरेन्द्र अप्येकैकः सप्त सप्ताप्यहानि । मधुच्युतोघृतपृक्ता विशोकास्ते नान्तवन्तः प्रतिपालयन्ति ॥ |
Reference: | 1.7.87.3.14(आदिपर्व>संभवपर्व>सप्ताशीतितमोऽध्यायः (87)>उत्तरयायातम्>श्लोक#14) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | सप्ताशीतितमोऽध्यायः (87) |
Akhyana: | उत्तरयायातम् |
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