Index Search for 'घनान्तरस्था' |
Shloka: | स दीप्यमानः सहसान्तरिक्षं प्रकाशयन्मातलिसंगृहीतः । बभौ महोल्केवघनान्तरस्था शिखेव चाग्नेर्ज्वलिता विधूमा ॥ |
Reference: | 3.35.161.0.18(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>एकषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#18) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | एकषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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