Index Search for 'खल्विहैव' |
Shloka: | स नोऽब्रवीदस्तिखल्विहैव सरस्यकूपारो नाम कच्छपः प्रतिवसति । स मत्तश्चिरजाततर इति । स यदि कथंचिदभिजानीयादिमं राजानं तमकूपारं पृच्छाम इति ॥ |
Reference: | 3.37.191.0.14(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#14) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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