Index Search for 'खमुपाचक्रमे' |
Shloka: | भर्त्सयित्वा तु रूक्षेण स्वरेण गतचेतनाम् । मूर्धजेषु निजग्राहखमुपाचक्रमे ततः ॥ |
Reference: | 3.42.262.0.40(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#40) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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