Index Search for 'क्षेमं' |
Shloka: | कालवर्षी च पर्जन्यो नक्षत्राणि शुभानि च । प्रदक्षिणा ग्रहाश्चापि भविष्यन्त्यनुलोमगाः ।क्षेमं सुभिक्षमारोग्यं भविष्यति निरामयम् ॥ |
Reference: | 3.37.188.0.88(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#88) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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