Index Search for 'क्षेप्स्यसि' |
Shloka: | शक्तिं तस्मै ददौ शक्रः विस्मितो वाक्यमब्रवीत् । देवासुरमनुष्याणां गन्धर्वोरगरक्षसाम् । यस्मैक्षेप्स्यसि रुष्टः सन्सोऽनया न भविष्यति ॥ |
Reference: | 1.7.104.0.20(आदिपर्व>संभवपर्व>चतुरधिकशततमोऽध्यायः (104)>श्लोक#20) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | चतुरधिकशततमोऽध्यायः (104) |
Akhyana: | |
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