Index Search for 'क्षेत्रे' |
Shloka: | क्षेत्रे सुकृष्टे ह्युपिते च बीजे देवे च वर्षत्यृतुकालयुक्तम् । न स्यात्फलं तस्य कुतः प्रसिद्धिरन्यत्र दैवादिति चिन्तयामि ॥ |
Reference: | 3.39.225.0.23(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>पञ्चविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#23) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | पञ्चविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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