Index Search for 'क्षेत्रविदो' |
Shloka: | सचेतनं जीवगुणं वदन्ति स चेष्टते चेष्टयते च सर्वम् । ततः परंक्षेत्रविदो वदन्ति प्राकल्पयद्यो भुवनानि सप्त ॥ |
Reference: | 3.37.203.0.33(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्र्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#33) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्र्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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