Index Search for 'क्षेत्रवित्त्वं' |
Shloka: | अष्टक उवाच - कथं तस्मिन्क्षीणपुण्या भवन्ति संमुह्यते मेऽत्र मनोऽतिमात्रम् । किंविशिष्टाः कस्य धामोपयान्ति तद्वै ब्रूहिक्षेत्रवित्त्वं मतो मे ॥ |
Reference: | 1.7.85.3.3(आदिपर्व>संभवपर्व>पञ्चाशीतितमोऽध्यायः (85)>उत्तरयायातम्>श्लोक#3) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | पञ्चाशीतितमोऽध्यायः (85) |
Akhyana: | उत्तरयायातम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|