Index Search for 'क्षेत्रज्ञं' |
Shloka: | देवो यः संस्थितस्तस्मिन्नब्बिन्दुरिव पुष्करे ।क्षेत्रज्ञं तं विजानीहि नित्यं त्यागजितात्मकम् ॥ |
Reference: | 3.37.203.0.31(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्र्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#31) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्र्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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