Index Search for 'क्षुधितः' |
Shloka: | स वै श्रान्तःक्षुधितः काश्यपस्तान्घोषान्समासादितवान्समृद्धान् । गोपैश्च तैर्विधिवत्पूज्यमानो राजेव तां रात्रिमुवास तत्र ॥ |
Reference: | 3.33.113.0.16(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>त्रयोदशाधिकशततमोऽध्यायः (113)>श्लोक#16) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | त्रयोदशाधिकशततमोऽध्यायः (113) |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|