Index Search for 'क्षुद्रमृगानिव' |
Shloka: | अथ तैर्दानवैः सार्धं महिषस्त्रासयन्सुरान् । अभ्यद्रवद्रणे तूर्णं सिंहःक्षुद्रमृगानिव ॥ |
Reference: | 3.37.221.0.55(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#55) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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