Index Search for 'क्षुत्तृष्णार्दितः' |
Shloka: | स तस्य वचनात्तयैव सह देव्या तद्वनं प्राविशत् । स कदाचित्तस्मिन्वने रम्ये तयैव सह व्यवहरत् । अथक्षुत्तृष्णार्दितः श्रान्तोऽतिमात्रमतिमुक्तागारमपश्यत् ॥ |
Reference: | 3.37.190.0.24(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>नवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#24) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | नवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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