Index Search for 'क्षीयन्ते' |
Shloka: | न तत्र धर्माः सीदन्ति नक्षीयन्ते च वै प्रजाः । ततः कृतयुगं नाम कालेन गुणतां गतम् ॥ |
Reference: | 3.33.148.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>अष्टचत्वारिंशदधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | अष्टचत्वारिंशदधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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