Index Search for 'क्षिप्रं' |
Shloka: | यस्तु त्वां समरे हन्ता तमेवैतद्वहिष्यति । अवमन्य गुरुं मां चक्षिप्रं त्वं न भविष्यसि ॥ |
Reference: | 3.42.259.0.35(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकोनषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#35) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकोनषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|