Index Search for 'क्षिप्रं' |
Shloka: | क्षिप्रं निवर्तध्वमलं मृगैर्नो मनो हि मे दूयति दह्यते च । बुद्धिं समाच्छाद्य च मे समन्युरुद्धूयते प्राणपतिः शरीरे ॥ |
Reference: | 3.42.253.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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