Index Search for 'क्षिप्रं' |
Shloka: | अनिष्टेनान्वितं पश्यंस्तथाक्षिप्रं विरज्यते । ततश्च प्रतिकुर्वन्ति यदि पश्यन्त्युपक्रमम् । शोचतो न भवेत्किंचित्केवलं परितप्यते ॥ |
Reference: | 3.37.206.0.18(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>षडधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#18) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | षडधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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