Index Search for 'क्षिप्रं' |
Shloka: | तपस्वी त्वं महात्मा च धर्मे च निरतः सदा । सर्वमेतदपार्थं तेक्षिप्रं तौ संप्रसादय ॥ |
Reference: | 3.37.205.0.9(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>पञ्चाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#9) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | पञ्चाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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