Index Search for 'क्षिप्रं' |
Shloka: | तं दृष्ट्वा तत्र कौन्तेयं प्रगृहीतशरासनम् । अब्रुवन्ब्राह्मणाः सिद्धा भूतान्यन्तर्हितानि च ।क्षिप्रं प्राप्नुहि कौन्तेय मनसा यद्यदिच्छसि ॥ |
Reference: | 3.31.38.0.18(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कैरातपर्व>अष्टत्रिंशोऽध्यायः (38)>श्लोक#18) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कैरातपर्व |
Adhyaya: | अष्टत्रिंशोऽध्यायः (38) |
Akhyana: | |
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