Index Search for 'क्षिप्तामिषीकां' |
Shloka: | प्रत्ययार्थं कथां चेमां कथयामास जानकी ।क्षिप्तामिषीकां काकस्य चित्रकूटे महागिरौ । भवता पुरुषव्याघ्र प्रत्यभिज्ञानकारणात् ॥ |
Reference: | 3.42.266.0.67(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>षट्षष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#67) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | षट्षष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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