Index Search for 'क्षिप्ताक्षिप्ता' |
Shloka: | क्षिप्ताक्षिप्ता तु सा शक्तिर्हत्वा शत्रून्सहस्रशः । स्कन्दहस्तमनुप्राप्ता दृश्यते देवदानवैः ॥ |
Reference: | 3.37.221.0.67(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#67) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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