Index Search for 'क्षान्तास्तेन' |
Shloka: | अर्जुन उवाच - वाचस्तीक्ष्णास्थिभेदिन्यः सूतपुत्रेण भाषिताः । अतितीक्ष्णा मयाक्षान्तास्तेन प्राप्ताः स्म संशयम् ॥ |
Reference: | 3.44.296.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरणेयपर्व >षण्णवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरणेयपर्व |
Adhyaya: | षण्णवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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