Index Search for 'क्षात्रं' |
Shloka: | क्षात्रं धर्मं महाराज समवेक्षितुमर्हसि । न हि धर्मो महाराज क्षत्रियस्य वनाश्रयः । राज्यमेव परं धर्मं क्षत्रियस्य विदुर्बुधाः ॥ |
Reference: | 3.32.49.0.13(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>एकोनपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (49)>श्लोक#13) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | एकोनपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (49) |
Akhyana: | |
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