Index Search for 'क्षयं' |
Shloka: | दिष्ट्या त्वयार्जितं वित्तं प्रतिपाणाय नैषध । दिष्ट्या च दुष्कृतं कर्म दमयन्त्याःक्षयं गतम् । दिष्ट्या च ध्रियसे राजन्सदारोऽरिनिबर्हण ॥ |
Reference: | 3.32.77.0.12(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>सप्तसप्ततितमोऽध्यायः (77)>श्लोक#12) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | सप्तसप्ततितमोऽध्यायः (77) |
Akhyana: | |
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