Index Search for 'क्षपां' |
Shloka: | अत्राद्याहो निवत्स्यामःक्षपां भरतसत्तम । द्वारमेतद्धि कौन्तेय कुरुक्षेत्रस्य भारत ॥ |
Reference: | 3.33.129.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>एकोनत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (129)>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकोनत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (129) |
Akhyana: | |
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