Index Search for 'क्षन्तुमर्हसि' |
Shloka: | क्षन्तुमर्हसि मे विप्र भर्ता मे दैवतं महत् । स चापि क्षुधितः श्रान्तः प्राप्तः शुश्रूषितो मया ॥ |
Reference: | 3.37.197.0.20(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>सप्तनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#20) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | सप्तनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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