Index Search for 'क्षत्रियाणां' |
Shloka: | क्षत्रियाणां स्थितो धर्मे क्षत्रियोऽस्मि तपोधन । यो यथा वर्तते यस्मिंस्तथा तस्मिन्प्रवर्तयन् । नाधर्मं समवाप्नोति नरः श्रेयश्च विन्दति ॥ |
Reference: | 5.60.178.0.28(उद्योगपर्व>अम्बोपाख्यानपर्व>अष्टसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#28) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | अम्बोपाख्यानपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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