Index Search for 'क्षत्रियस्यास्त्यतोऽधिकम्' |
Shloka: | राजन्किं नाम तत्कृत्यंक्षत्रियस्यास्त्यतोऽधिकम् । यद्युद्धेऽभिमुखः प्राणांस्त्यजेच्छत्रूञ्जयेत वा ॥ |
Reference: | 3.34.154.0.23(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>जटासुरवधपर्व>चतुःपञ्चाशदधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#23) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | जटासुरवधपर्व |
Adhyaya: | चतुःपञ्चाशदधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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