Index Search for 'क्षत्रियपुंगवः' |
Shloka: | ततः प्रतर्दनोऽप्याह वाक्यंक्षत्रियपुंगवः । यथा धर्मरतिर्नित्यं नित्यं युद्धपरायणः ॥ |
Reference: | 5.54.120.11.6(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (120)>गालवचरितम्>श्लोक#6) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (120) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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