Index Search for 'क्षत्रियः' |
Shloka: | युद्धायक्षत्रियः सृष्टः संजयेह जयाय च । क्रूराय कर्मणे नित्यं प्रजानां परिपालने । जयन्वा वध्यमानो वा प्राप्नोतीन्द्रसलोकताम् ॥ |
Reference: | 5.54.133.12.11(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133)>विदुरापुत्रानुशासनम्>श्लोक#11) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133) |
Akhyana: | विदुरापुत्रानुशासनम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|