Index Search for 'क्षत्रमुत्साद्य' |
Shloka: | ततो रामह्रदान्गच्छेत्तीर्थसेवी नराधिप । यत्र रामेण राजेन्द्र तरसा दीप्ततेजसा ।क्षत्रमुत्साद्य वीर्येण ह्रदाः पञ्च निवेशिताः ॥ |
Reference: | 3.33.81.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>एकाशीतितमोऽध्यायः (81)>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकाशीतितमोऽध्यायः (81) |
Akhyana: | |
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