Index Search for 'क्षत्रधर्ममनुव्रतः' |
Shloka: | सोऽब्रवीदर्जुनं तत्र स्थितं दृष्ट्वा महातपाः । कस्त्वं तातेह संप्राप्तो धनुष्मान्कवची शरी । निबद्धासितलत्राणःक्षत्रधर्ममनुव्रतः ॥ |
Reference: | 3.31.38.0.32(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कैरातपर्व>अष्टत्रिंशोऽध्यायः (38)>श्लोक#32) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कैरातपर्व |
Adhyaya: | अष्टत्रिंशोऽध्यायः (38) |
Akhyana: | |
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