Index Search for 'क्षत्ता' |
Shloka: | मन्ये तथा तद्भवितेति सूत यथाक्षत्ता प्राह वचः पुरा माम् । असंशयं भविता युद्धमेतद्गते काले पाण्डवानां यथोक्तम् ॥ |
Reference: | 3.32.48.0.41(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>अष्टचत्वारिंशोऽध्यायः (48)>श्लोक#41) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | अष्टचत्वारिंशोऽध्यायः (48) |
Akhyana: | |
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