Index Search for 'क्षणेन' |
Shloka: | यो ह्यस्या हर्षसंभूतो मुखरागस्तदाभवत् ।क्षणेन स पुनर्भ्रष्टो निःश्वासादिव दर्पणे ॥ |
Reference: | 3.42.275.0.15(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>पञ्चसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#15) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | पञ्चसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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