Index Search for 'क्षणदाचरम्' |
Shloka: | तं दृष्ट्वा निहतं संख्ये प्रहस्तंक्षणदाचरम् । अभिदुद्राव धूम्राक्षो वेगेन महता कपीन् ॥ |
Reference: | 3.42.270.0.5(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>सप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#5) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | सप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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