Index Search for 'ऐकमत्यं' |
Shloka: | ऐकमत्यं च सर्वस्य जनस्याथ नृपं प्रति । सचक्षुर्वाप्यचक्षुर्वा स नो राजा भवत्विति ॥ |
Reference: | 3.42.283.0.5(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्र्यशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#5) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्र्यशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|