Index Search for 'एष' |
Shloka: | यएष चन्द्रार्कसमानतेजा जघन्यजः पाण्डवानां प्रियश्च । बुद्ध्या समो यस्य नरो न विद्यते वक्ता तथा सत्सु विनिश्चयज्ञः ॥ |
Reference: | 3.42.254.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>चतुःपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | चतुःपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|