Index Search for 'एष' |
Shloka: | यो वै न कामान्न भयान्न लोभात्त्यजेद्धर्मं न नृशंसं च कुर्यात् । सएष वैश्वानरतुल्यतेजाः कुन्तीसुतः शत्रुसहः प्रमाथी ॥ |
Reference: | 3.42.254.0.13(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>चतुःपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#13) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | चतुःपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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