Index Search for 'एवमेतद्यथात्थ' |
Shloka: | नल उवाच -एवमेतद्यथात्थ त्वं दमयन्ति सुमध्यमे । नास्ति भार्यासमं मित्रं नरस्यार्तस्य भेषजम् ॥ |
Reference: | 3.32.58.0.28(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>अष्टपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (58)>श्लोक#28) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | अष्टपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (58) |
Akhyana: | |
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