Index Search for 'एवमुक्त्वा' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एवमुक्त्वा तु कौन्तेयः सोऽवप्लुत्य रथोत्तमात् । तमन्वधावद्धावन्तं राजपुत्रं धनंजयः । दीर्घां वेणीं विधुन्वानः साधु रक्ते च वाससी ॥ |
Reference: | 4.47.36.0.27(विराटपर्व>गोग्रहणपर्व>षट्त्रिंशोऽध्यायः (36)>श्लोक#27) |
Parva: | विराटपर्व |
Upaparva: | गोग्रहणपर्व |
Adhyaya: | षट्त्रिंशोऽध्यायः (36) |
Akhyana: | |
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