Index Search for 'एवमुक्तस्ततो' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एवमुक्तस्ततो राज्ञा धौम्योऽथ द्विजसत्तमः । अकरोद्विधिवत्सर्वं प्रस्थाने यद्विधीयते ॥ |
Reference: | 4.45.4.0.47(विराटपर्व>वैराटपर्व>चतुर्थोऽध्यायः (04)>श्लोक#47) |
Parva: | विराटपर्व |
Upaparva: | वैराटपर्व |
Adhyaya: | चतुर्थोऽध्यायः (04) |
Akhyana: | |
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