Index Search for 'एवमस्तु' |
Shloka: | तमब्रवीत्कुन्तिभोजः प्रीतियुक्तमिदं वचः ।एवमस्तु परं चेति पुनश्चैनमथाब्रवीत् ॥ |
Reference: | 3.43.287.0.9(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कुन्दलाहरणपर्व>सप्ताशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#9) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कुन्दलाहरणपर्व |
Adhyaya: | सप्ताशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|