Index Search for 'एवं' |
Shloka: | अहं सप्तर्षिपत्नीनां कृत्वा रूपाणि पावकम् । कामयिष्यामि कामार्तं तासां रूपेण मोहितम् ।एवं कृते प्रीतिरस्य कामावाप्तिश्च मे भवेत् ॥ |
Reference: | 3.37.213.0.52(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#52) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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