Index Search for 'एवं' |
Shloka: | एवं संचिन्त्य भगवान्ब्रह्मलोकं तदा गतः । गृहीत्वा देवसेनां तामवन्दत्स पितामहम् । उवाच चास्या देव्यास्त्वं साधु शूरं पतिं दिश ॥ |
Reference: | 3.37.213.0.34(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#34) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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