Index Search for 'एवं' |
Shloka: | एवं मे चरतस्तत्र सर्वयत्नेन शत्रुहन् । प्रीतिमानभवद्वीरो मातलिः शक्रसारथिः ॥ |
Reference: | 3.35.167.0.14(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>सप्तषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#14) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | सप्तषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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