Index Search for 'एव' |
Shloka: | शर्मिष्ठा उवाच - ओजसा तेजसा चएव दीप्यमानम् रविम् यथा । तम् दृष्ट्वा मम संप्रष्टुम् शक्तिः न आसीत् शुचिस्मिते ॥ |
Reference: | 1.7.78.2.6(आदिपर्व>संभवपर्व>अष्टसप्ततितमोऽध्यायः (78)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#6) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्ततितमोऽध्यायः (78) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
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